छठ पूजा: सूर्य की उपासना का महापर्व"
परिचय
भारत एक आस्था और विविधता से भरा देश है जहाँ हर त्योहार अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इन्हीं त्योहारों में से एक है "छठ पूजा"। छठ पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का महापर्व है, जो मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में न केवल भक्ति बल्कि प्रकृति और परिवार के प्रति प्रेम और सम्मान का भी भाव होता है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा सूर्य देवता की उपासना का पर्व है, जिन्हें ऊर्जा, स्वास्थ्य और जीवन का दाता माना जाता है। सूर्य देव हमारे जीवन में रोशनी और ऊर्जा का स्रोत हैं, और छठ पर्व उनके प्रति आभार व्यक्त करने का एक माध्यम है। छठी मैया की पूजा से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, और मान्यता है कि यह पर्व मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अति प्रभावशाली है।
छठ पूजा का इतिहास और धार्मिक मान्यता
छठ पूजा की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है। पुराणों के अनुसार, यह पूजा सबसे पहले द्रौपदी और पांडवों ने अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए की थी। इस पूजा के समय चार दिनों तक व्रती (व्रत रखने वाले व्यक्ति) कठोर नियमों का पालन करते हैं। मान्यता है कि छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं और परिवार में सुख और समृद्धि लाती हैं।
छठ पूजा की विधि और परंपराएँ
छठ पूजा चार दिनों का पर्व है जो नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है:
1. पहला दिन - नहाय-खाय: इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करके शुद्धता का संकल्प लेते हैं और घर में लौकी-चने की दाल और कद्दू-भात का भोजन बनाकर सेवन करते हैं।
2. दूसरा दिन - खरना: इस दिन व्रती निर्जल व्रत रखते हैं और शाम को खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पण करते हैं।
3. तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य: सूर्यास्त के समय व्रती गंगा किनारे या तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस दौरान विशेष गीत और भजन गाए जाते हैं जो छठ पूजा की विशेषता है।
4. चौथा दिन - उषा अर्घ्य: अंतिम दिन, सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इस दिन सभी लोग परिवार के साथ पूजा में सम्मिलित होते हैं और एक-दूसरे को आशीर्वाद देते हैं।
छठ पर्व की विशेषताएँ
छठ पूजा का सबसे विशेष पहलू यह है कि इसमें कोई मूर्ति पूजा नहीं होती, बल्कि सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा में प्राकृतिक चीजों जैसे बांस की टोकरी, सूप, फलों, ठेकुआ, और अन्य प्रसादों का प्रयोग होता है। यह पर्व मनुष्य को प्रकृति से जोड़ता है और अपने पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
आधुनिक युग में छठ पूजा का महत्व
आज के आधुनिक युग में भी छठ पूजा का महत्व कम नहीं हुआ है। यह पर्व लोगों को आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्रदान करता है। जब परिवार और समाज के लोग मिलकर छठ पूजा में सम्मिलित होते हैं, तो उसमें एकता, समर्पण और प्रेम का अनुभव होता है।
निष्कर्ष
छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं है बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपराओं का संगम है। यह हमें अपने जीवन में सादगी, अनुशासन और प्रकृति के प्रति प्रेम का महत्व सिखाता है। आइए, इस छठ पूजा पर सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना करें और उनसे सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें।
छठ पूजा के गीत और भजन
इस पर्व पर कई मनमोहक गीत और भजन गाए जाते हैं जो छठ पूजा की भावना को और भी जीवंत बना देते हैं। आपके ब्लॉग 'Radha Geet' पर छठ पूजा के भक्तिमय गीतों का संकलन प्रस्तुत कर सकते हैं ताकि लोगों की श्रद्धा और भी बढ़े।
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