श्री विष्णु भगवान की कथा: भक्ति और कृपा का अद्भुत उदाहरण
श्री विष्णु भगवान, त्रिदेवों में से एक, सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं। वे भक्तों की रक्षा करने और धर्म की स्थापना के लिए विभिन्न रूपों में अवतार लेते हैं। यह कथा एक साधारण भक्त और भगवान विष्णु की अपार कृपा की प्रेरणादायक कहानी है।
कथा का आरंभ:
प्राचीन समय की बात है, एक छोटे से गांव में ध्रुव नाम का एक निर्धन किसान रहता था। वह अत्यंत सरल, सत्यनिष्ठ और ईश्वर में अटूट विश्वास रखने वाला व्यक्ति था। उसके पास धन-संपत्ति नहीं थी, लेकिन उसका मन विष्णु भगवान की भक्ति से भरा हुआ था। वह प्रतिदिन तुलसी के पौधे के पास दीप जलाकर विष्णु भगवान की आराधना करता और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करता।
ध्रुव की कठिनाई:
एक वर्ष, गांव में भयंकर अकाल पड़ा। खेत सूख गए, पानी का स्रोत समाप्त हो गया, और लोगों के पास खाने के लिए अन्न तक नहीं बचा। ध्रुव के पास भी न तो खाने के लिए भोजन बचा और न ही अपने परिवार का पालन करने का कोई साधन। फिर भी, उसने ईश्वर पर से विश्वास नहीं खोया। उसने अपने परिवार से कहा, "भगवान विष्णु हमारी परीक्षा ले रहे हैं। यदि हम धैर्य और भक्ति बनाए रखें, तो वे अवश्य हमारी मदद करेंगे।"
ईश्वर की परीक्षा:
एक दिन, एक वृद्ध साधु उनके घर के सामने आया। साधु भूखा और थका हुआ था। उसने ध्रुव से खाने के लिए कुछ मांगा। ध्रुव ने अपने परिवार का अंतिम अन्न साधु को दे दिया और कहा, "भगवान की इच्छा है। वे हमारी चिंता करेंगे।" साधु ने मुस्कुराते हुए उसे आशीर्वाद दिया और कहा, "तुम्हारी भक्ति अतुलनीय है। विष्णु भगवान तुमसे प्रसन्न हैं।"
भगवान विष्णु की कृपा:
उसी रात ध्रुव को एक स्वप्न आया। भगवान विष्णु ने अपने दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए और कहा, "हे भक्त, तुम्हारी भक्ति ने मुझे प्रसन्न कर दिया है। तुम्हारे जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त होंगी। कल सुबह तुम्हारे घर के आंगन में खुदाई करो। वहां तुम्हें एक गुप्त खजाना मिलेगा। उस खजाने से न केवल तुम्हारा परिवार, बल्कि पूरा गांव लाभान्वित होगा।"
आशीर्वाद की प्राप्ति:
अगले दिन, ध्रुव ने सपने के अनुसार जमीन खोदी। वहां से एक बड़ा खजाना निकला। ध्रुव ने उस धन का उपयोग अपने गांव के लोगों की सहायता के लिए किया। गांव में खुशहाली लौट आई। ध्रुव की भक्ति और भगवान विष्णु की कृपा का यह अद्भुत प्रसंग पूरे क्षेत्र में विख्यात हो गया।
कथा का संदेश:
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती। ईश्वर अपने भक्तों की कठिनाइयों का निवारण अवश्य करते हैं। हमें विपत्ति के समय भी धैर्य और श्रद्धा बनाए रखनी चाहिए।
उपसंहार:
विष्णु भगवान अपने भक्तों के हर दुख को हरने वाले हैं। यदि हम सच्चे मन से उनकी शरण में जाते हैं, तो वे हमें कभी निराश नहीं करते। तुलसी की पूजा, नामस्मरण, और निष्काम सेवा ही भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का
सरल मार्ग है।
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