कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व और पूजा विधि | Importance and worship method of Kartik Purnima

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कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व और पूजा विधि | Importance and worship method of Kartik Purnima

परिचय

कार्तिक पूर्णिमा, जिसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए जाना जाता है। इस दिन का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन गंगा स्नान और दीपदान का विशेष महत्त्व होता है।


कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन का सम्बन्ध त्रिपुरासुर वध और भगवान शिव की महिमा से भी है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसे देवताओं की विजय और दुष्ट शक्तियों के अंत का प्रतीक माना गया है। इस दिन को 'देव दीपावली' के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि देवता भी इस दिन आकाश से धरती पर दीप जलाकर उत्सव मनाते हैं।


कार्तिक स्नान और दीपदान का महत्त्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। विशेष रूप से गंगा स्नान का महत्त्व अधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही, इस दिन दीपदान का भी विशेष महत्व है। घरों में दीप जलाने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


पूजा विधि


1. स्नान: ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। यदि संभव न हो तो घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।



2. ध्यान और पूजा: स्नान के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव का ध्यान करें। उन्हें पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।



3. दीपदान: नदी के किनारे या घर के आंगन में दीपदान करें। दीपों की कतार बनाकर भगवान को समर्पित करें।



4. दान-पुण्य: इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गोदान और अन्नदान का भी विशेष महत्त्व है।



5. मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें। यह जाप मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।


कार्तिक पूर्णिमा पर कथा

कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और वेदों की रक्षा की थी। त्रिपुरासुर नामक असुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब भगवान शिव ने उसे मारकर लोकों की रक्षा की थी। इस कारण इस दिन का विशेष महत्त्व है और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।


उपसंहार

कार्तिक पूर्णिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह दिन जीवन में शुभता, शांति, और समृद्धि लाने का माध्यम भी है। इस दिन पवित्र स्नान, पूजा, और दीपदान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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